मिशन को शुरू करने की तैयारी अपने अंतिम चरण में है। लॉन्चिंग की टीम में लगी भारत के सबसे भारी प्रोजेक्ट, लॉन्च किए गए ऑबजर्स मार्क-III को मध्य जुलाई तक लॉन्च करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।
बता दें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने जुलाई के तीसरे सप्ताह में चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था। इसकी तारीख का भी खुलासा हो गया है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 13 जुलाई को इसकी लॉन्चिंग की जाएगी। कुछ समय पहले इसरो प्रमुख ने एस सोमन की संभावना जताई थी।
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चंद्रयान लॉन्च की तारीख पर क्या बोले इसरो प्रमुख?
इसरो प्रमुख ने कहा कि अगर कोई टाकीनीकी समस्या नहीं आती है तो हो सकता है कि 12, 13 या 14 को लॉन्च किया जाए। उन्होंने यह भी कहा, ''सभी परीक्षणों के बाद हम मूल्यांकन तिथि निर्धारित करेंगे।'' एस सोमन ने कहा कि लॉन्च की तारीख को लेकर कई तरह की अफवाहें हैं लेकिन अंतिम तिथि समान होगी।
क्या है चंद्रयान-3 मिशन?
ज्ञात जानकारी के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही फॉलोअप मिशन है। भारत ने 2019 में चंद्रयान-2 के जरिए इस मिशन को हासिल करने की कोशिश की थी। हालाँकि, मिशन में सफलता नहीं मिली थी। जिसके बाद चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग की तारीख भी सामने आई और अब चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग की तारीख भी सामने आ गई है।
चंद्रयान के लैंडर विक्रम चंद्रमा पर भूमि बनाने से पहले ही भूमि पर आक्रमण हो गया था। इस दौरान लैंडिंग साइट से संपर्क हमले के कारण लैंडिंग नहीं हो पाई थी।
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चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर चांद पर क्या होंगे?
चंद्रयान-3 असल में चंद्रयान-2 का फॉलो-अप मिशन है। इसरो इसमें सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग की स्वदेशी तकनीक को दुनिया के सामने दिखाना चाहता है। इसके अंदर ऐसे यंत्र हैं जो प्रकाश और खनिजों के ताप के आधार पर चंद्रमा का अध्ययन करेंगे। लैंडर में चंद्रा सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) लगा है। यह चाँद की सतह पर तापीय कंडक्टिविटी, तापमान का अध्ययन।
इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर र सीस्मिक एक्टिविटी (ILSA) चांद की सतह पर भूकंपों की जानकारी जमा करेगा. लैंडर में लगा लेंगमुइर प्रोब चांद पर प्लाज्मा की डेनसिटी और उसमें आने वाले अंतर की जांच करेगा. इसके अलावा नासा की तरफ से इसमें पैसिव लेजर रेट्रोरिफ्लेक् एरे लगाया गया है, जो चांद की सतह पर लेजर के जरिए रेंजिंग स्टडी करेगा.
रोवर में अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) और लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) लगा है. ये दोनों मिलकर लैंडिंग साइट के आसपास के खनिजों, मिट्टी और उनके रासायनिक मिश्रण का अध्ययन करेंगे.
चंद्रयान-2 की तरह नहीं होंगे पांच इंजन, इस पर चार ही थ्रोटेल :-
चंद्रयान-2 के लैंडर की तरह चंद्रयान-3 के लैंडर में पांच नहीं चार ही थ्रॉटल इंजन होंगे। चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर में पांच थ्रोटल इंजन थे। जिसमें से एक में आई बिजनेस की वजह से लॉन्च किया गया था। इस बार के चंद्रयान-3 के लैंडर में लेजर डॉप्लर विलोसीमीटर (एलडीवी) लैंडिंग की भी खबर है। इससे प्रवेश सबसे आसान हो सकता है।
इसलिए ये आतंकवादी जहाज़ जमा होगा. वह इसे पृथ्वी पर रिश्तेदार बनाना चाहता था। चंद्रयान-3 को जीएसएलवी एमके 3 (जीएलएसवी-एमके-3) रॉकेट से लॉन्च किया गया। श्रीहरिकोटा स्थित श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्चिंग होगी। पिछले साल बैंगल से 215 किलोमीटर दूर छलाने के पास उल्लथी कवालू में चांद के नकली अवशेष बनाए गए थे।